वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल की लगभग 11 वर्षीय बाघिन "मचमची" की आज दिनांक 11.05.2022 के प्रातः मृत्यु हो गई है। बाघिन “मचमची” को दिनांक 24.10.2018 को बांधवगढ टाईगर रिजर्व उमरिया से रेस्क्यू कर वन विहार लाया गया था। उस समय इसकी उम्र लगभग 7-8 वर्ष थी। वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में इसे लायन हाउसिंग क्र. 1 में रखा गया था। उक्त बाघिन को वन विहार का वातावरण खूब रास आया तथा वह पूर्ण रूपेण स्वस्थ थी।
विगत दो दिवस से मचमची बाघिन ने अपना नियमित भोजन नहीं लिया, ऐसा वह सामान्य रूप से अक्सर करती रही है। कल दिनांक 10.05.2022 को वह देर रात तक अपने हाउसिंग में सामान्य ही थी लेकिन आज प्रातः लगभग 4.45 बजे रात्रि गश्ती दल को वह अपने हाउसिंग में निश्चेत अवस्था में पाई गई। प्रातः ही वन्यप्राणी चिकित्सक वन विहार डॉ. अतुल गुप्ता द्वारा इसका परीक्षण किया जाकर इसे मृत घोषित किया गया।
बाघिन "मचमची” का पोस्टमार्टम डॉ. अतुल गुप्ता, वन्यप्राणी चिकित्सक वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, डॉ. आरती सक्सेना, राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भोपाल, डॉ. प्रवेश भारद्वाज, राज्य पशु चिकित्ससालय भोपाल, डॉ. प्रशांत देशमुख, वाईल्डलाईफ कंजर्वेशन ट्रस्ट एवं डॉ. रजत कुलकर्णी, वाईल्ड लाईफ एस.ओ.एस. वन विहार तथा अन्य सहायक चिकित्सक दल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। मृत बाघिन "मचमची" के पोस्टमार्टम उपरांत उसके आंतरिक अंगों को परीक्षण हेतु स्कूल आफ वाईल्ड लाईफ फॉरंसिक एंड हैल्थ जबलपुर एवं पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला जहांगीराबाद भोपाल भेजा जा रहा है। मृत बाघिन की मृत्यु का वास्तविक कारण तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के पश्चात ही पता चल सकेगा। पोस्टमार्टम उपरांत मृत बाघिन “मचमची" का वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में वरिष्ठ अधिकारियों एवं अन्य पंचगणों की उपस्थिति में नियमानुसार दाह संस्कार कर दिया गया। “मचमची" बाघिन की अचानक मृत्यु के कारण वन विहार में अत्यंत ही शोक का माहौल है। वर्तमान में वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में 13 बाघ शेष बचे हैं।